Kala Ghoda Arts Festival “(KGAF)” host the ‘Kala Ghoda Art Kart (KGAK)’ from December 10, 2021 to Nov 30, 2022

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Mumbai, 20th December 2021 (GPN): KGAF’s Kala Ghoda Art Kart promises artisans a yearly global platform to help them beat pandemic lossThe Kala Ghoda Arts Festival (KGAF) is back this February, and the Black Horse is a hi-flier with the theme Udaan. The celebration is as much about experiencing art as it is about playing patron to them. This year, in a bid to boost the economic recovery of the pandemic-affected local artisans and craftsmen, the Kala Ghoda Art Festival has come up with The Kala Ghoda Art Kart (KGAK) from December 10, 2021 to Nov 30, 2022.
A specially curated online marketplace by the Kala Ghoda Association, the aim is to bridge the gap between communities and small-scale craftsmen producing authentic art spread across India. “Our endeavour through the Art Kart, is to bring the unique stories and creations of the craftspeople to the fore. The Kala Ghoda Art Kart will run through the year, and will not limit itself to just the nine days of February when the art precinct converts into a vibrant artistic haven,” says Brinda Miller, Hon Chairperson, Kala Ghoda Association.
Kala Ghoda Art Kart will have a range of stalls offer everything from cloth jewellery to pet scarves, Shirts and knickknacks for the home, made by India’s skilled yet oft-forgotten craftsmen. From the total of 500+ applicants, a rich group of gifted, eclectic folk artists from across the country, the selected 50+ will showcase their work at Kala Ghoda Art Kart. “Many of the stalls exhibitors on the site are exclusive and from different states of India. We incline toward craftsmans and designers over enormous retailers, and look for eco-friendliness and contemporary utility value in the collections, with a focus on traditional Indian art styles,” avers Brinda Miller.
So all the visitors will have intricately hand-embroidered footwear from Hisar in Haryana, sarees print made from dry leaves, bags from plastic waste in Ahmedabad, and wind chimes and lamps made from dried bottle gourd and paper in the Bastar district of Chhattisgarh to name a few.
Som this year, we get to see on a global platform, individuals and collectives that still retain the traditional weave and utilize conventional expressions, plans and artwork in more current utilitarian organizations that are made more appropriate for present day metropolitan living.
“Green and climate/animal amicable associations are additionally urged to display. We at KGAK are continually able to help the individuals who help we all in improving this world a spot,” concludes Brinda Miller.Ends

HINDI TRANSLATION

(GPN): इस फरवरी भरीये नई उड़ान, अपनी चाहत को लगाकर खुशियों के पंख, खो जाइये काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की गलियों में। जहाँ रंगमंच हैं, डांस है , संस्कृत कला का अनोखा मेल हैं, गीत हैं, संगीत हैं और ढेर सारी मस्ती हैं। एक ही जगह लाखो रंग हैं ,जिसमें सराबोर होने के लिए हर कोई इस खास दिन का साल से इंतजार करता हैं।

जी हां, काला घोड़ा की पथरीली सड़के फिर से इस महोत्सव के लिए चकाचौंध होने जा रही हैं। कोरोना काल में जो गलियां बेजान पड़ी थी अब दम भरने के लिए तैयार हो गयी हैं।

• जब दुनियां कोरोना महामारी से थम गई थी तब काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल ने बिना रुके 9 दिनों में 70 ऑनलाइन प्रोग्राम के जरिये डिजिटल की दुनिया में सफलतापूर्वक दस्तक दी।

9 दिन तक होने वाले काला घोड़ा कार्निवाल की रौनक इन खूबसूरत लोकेशन पर होगी जो 100 साल पुरानी पाम्परिक बिल्डिंग तो हैं लेकिन उनकी खूबसूरती बेमिसाल हैं।जैसे, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय जहाँ पर बच्चों का म्यूज़ियम हैं। कुमरास्वामी हॉल, एम्पिथेटर, वहाँ का लॉन और कुछ बाहरी सुंदर नजारें। मैक्स मूएलर भवन – जहाँ पर कला और वास्तुकारी का अनोखा नजारा देखने मिलता हैं। एन.जी.एम.ए ऑडिटोरिम , हॉर्निम सर्कल गार्डन, किताब खाना और काला घोड़ा की गलियां।
चूंकि इस साल गलियां तो खुली होगी लेकिन महामारी से बचाव हो इसीलिए कम से कम दुकानें लगेंगी
पर  ज्यादातर उनमें एरियल विसुअल आर्ट यानि कि हवाई कला दृश्य का नजारा देखने मिलेगा जो  इस बार काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की थीम ‘उड़ान’ को प्रस्तुत करेगा जो खूबसूरत लाइटिंग से सुसज्जित होंगी।

पिछली बार, कुछ बिल्ड़िंग के बाहरी दीवारों पर खूबसूरत वॉल पेंटिंग की गई थी।लेकिन इस बार काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल में जो स्थापित किया जाएगा उसकी कारीगरी सोच के भी परे होगी। कोविड के नियमों को ध्यान में रखते हुए, सोशल डिस्टेंसिनग और रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा तांकि भीड़ से बचा जा सके। दोहरे टीकाकरण प्रमाणपत्र की जांच होगी। बच्चों को अपने परिवार के साथ  रहना अनिवार्य होगा साथ ही आरोग्य सेतु एप की भी जांच होगी।

वर्कशॉप,पारंपरिक चलन और स्ट्रीट प्ले संचालित किए जाएंगे इसके साथ ही साथ विसुअल आर्ट , साहित्यिक कला, थिएटर, सिनेमा , संगीत और डांस इन सभी का अनोखा संगम होगा ।

काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल में आने वालों की भीड़ बेमिसाल हैं । यहाँ पर सारे कार्यक्रम निःशुल्क किये जाते हैं जिसके लिए किसी भी टिकेट का लेन देन नही होता। जो भी लोग इस फेस्टिवल में आएंगे उनका रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। काला घोड़ा फेस्टिवल से जो राशि इक्कठा होती हैं वो वहां की पुरानी और पारंपरिक स्मारक, बिल्डिंग ,आसपास के क्षेत्र की मरम्मत और उनकी रख रखाव में इस्तेमाल की जाती हैं। मुलजी जेठा फाउंटेन, के इ.सायनागोज और बोमन जी हॉर्मोर जी क्लॉक टावर को यूनेस्को अवार्ड से सम्मानित भी किया गया हैं।

काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की डायरेक्टर बृंदा मिलर कहती हैं कि ‘ मुम्बई में काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल अपने निर्धारित तारीख पर और वादे को पूरा करने के लिए तैयार हैं । इस 23 वें साल में हम कला और संस्कृत के इस बेजोड़ संगम को सबसे उत्कृष्ट रूप में मनाएंगे।
हमारे साथी और सहयोगी ,एक दूसरे का हाथ थामे हमारे साथ उसी जज्बे के साथ वापसी कर रहे हैं कि इस बार महोत्सव का आगाज और उसका संचालन सबसे ज्यादा धमाकेदार होगा । ज्यादा भीड़ से बचने के लिए और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हमारा ज्यादातर फोकस एरियल इंस्टालेशन पर होगा ताकि ग्राउंड एक्टिविटी कम हो।

साथ ही, हमारे स्टॉल वर्चुअल हैं, जिसमें काला घोड़ा आर्ट कार्ट (KGAK) भागीदारी और खरीद दोनों के मामले में दुनिया के लिए बाज़ार खोल रहा है।
और निश्चित रूप से, आर्ट कार्ट 10 दिसंबर से शुरू होकर पूरे साल खुला रहता है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि हर कोई हमारे लौकिक डार्क हॉर्स में शामिल होगा, जिसने उड़ान की अवधारणा के साथ पंख ले लिए हैं, जो 2022 में हमारे वैश्विक पदचिह्न को मजबूत करेगा।”

तो चले और समर्थन करे यहां 22 साल पुराने प्रतिष्ठित महोत्सव को ,जो जीवन के सभी क्षेत्रों से आधा मिलियन से अधिक लोगों को आकर्षित करता है और जिसका विकास आपसी सहयोग, बल और शक्ति से होता हैं। Ends

MARATHI TRANSLATION

(GPN): कोरोना काळात काम बंद असल्याने कारागिरांवर आर्थिक संकट आले होते. त्यांचे हे संकट दूर व्हावे म्हणून काळा घोडा आर्ट कार्टने कारागिरांना आता वर्षभरासाठी जागतिक व्यासपीठ देण्याचे ठरवले आहेकाळा घोडा आर्ट्स फेस्टिव्हल (KGAF) फेब्रुवारीमध्ये पुन्हा सुरु होत आहें. यंदाची थीम ब्लॅक हॉर्स उडान अशी आहे. याचाच अर्थ कलाकार, कारागिरांना एका उंचीवर नेऊन ठेवण्यासाठी काळा घोडा आर्ट फेस्टिव्हल सज्ज झाला आहे.  या उत्सवात कलाप्रेमींना जेवढा कलेचा उत्कृष्ट अनुभव घेता येतो तितकाच तो कलाकार, कारागिरांचा संरक्षक म्हणूनही  ओळखला जातो. कोरोनामुळे यंदा स्थानिक कारागीर प्रचंड प्रभावित झाले. त्यांच्या आर्थिक पुनर्प्राप्तीला चालना देण्यासाठी, काळा घोडा आर्ट फेस्टिव्हल टीमने एक अनोखी योजना आखली आहे. यंदा १० डिसेंबरपासून काळा घोडा आर्ट कार्ट (KGAK) आयोजित करण्यात आला असून तो जवळ-जवळ एक वर्ष म्हणजे ३० नोव्हेंबर २०२२ पर्यंत सुरु राहाणार आहे.
काळा घोडा असोसिएशनने खास क्युरेट केलेल्या ऑनलाइन मार्केटप्लेसचा उद्देश भारतभर पसरलेल्या अस्सल कला निर्माण करणारे  समुदाय आणि लहान-लहान कारागीर यांच्यातील दरी भरून काढणे हा आहे.  “आर्ट कार्टच्या माध्यमातून आमचा प्रयत्न, शिल्पकारांच्या अनोख्या कथा आणि निर्मिती समोर आणण्याचा आहे. काळा घोडा आर्ट कार्ट फेब्रुवारीच्या नऊ दिवसांपुरता मर्यादित राहणार नाही तर वर्षभर चालेल. त्यामुळे काळा घोडा परिसर कलाकारांचे आश्रयस्थान म्हणून समोर येईल.” असे काळा घोडा असोसिएशनच्या अध्यक्षा ब्रिंदा मिलर यांनी सांगितले.
काळा घोडा आर्ट कार्टमध्ये भारतातील कुशल कारागिरांनी बनवलेल्या कापडी दागिन्यांपासून ते स्कार्फ, शर्ट्स आणि घरासाठींच्या शोभेच्या वस्तूंपर्यंत सर्व प्रकारचे स्टॉल्स असतील. या आर्ट कार्टसाठी देशभरातून एकूण ५०० पेक्षा जास्त कारागिर, संस्थांनी रुचि दर्शवली होती. त्यापैकी सर्वोत्कृष्ट अशा ५० पेक्षा जास्त कलाकार आणि कारागिरांना काळा घोडा आर्ट कार्टमध्ये संधी देण्यात येणार आहे.  “काळा घोडा आर्ट कार्टमधील अनेक स्टॉल भारतातील विविध राज्यांतील आहेत. आम्ही किरकोळ विक्रेत्यांच्या तुलनेत कारागिरी आणि डिझाइन्सकडे जास्त लक्ष देतो. पारंपारिक भारतीय कला शैलींवर लक्ष केंद्रित करून कलेक्शनमध्ये पर्यावरणपूरक आणि समकालीन उपयुक्तता मूल्य शोधतो,” अशी माहिती काळा घोडा आर्ट कार्टचे क्यूरेटर मयंक वल्लेशा यांनी दिली.
आर्ट मार्टमध्ये येणाऱ्या रसिकांना हरियाणातील हिस्सार येथील हाताने नक्षीकाम केलेली सुंदर पादत्राणे, कोरड्या पानांपासून बनवलेल्या प्रिंटच्या साड्या, अहमदाबादमधील प्लास्टिकच्या कचऱ्यापासून बनवलेल्या पिशव्या आणि छत्तीसगढच्या बस्तर जिल्ह्यातील सुक्या दूधीपासून आणि कागदापासून बनवलेले विंड चाइम आणि दिवे येथे पाहायला आणि विकत घ्यायला मिळतील.
देशात अजूनही अशा काही व्यक्ती आणि गट आहेत ज्यांनी अजूनही पारंपरिक विणकाम टिकवून ठेवले आहे. अशा व्यक्ती आणि संस्था जागतिक व्यासपीठावरही पाहायला मिळतात. या संस्था व्यक्ती पारंपरिक अभिव्यक्ती, योजना आणि कलाकृतींचा वापर सध्याच्या महानगरीय जीवनासाठी उपयुक्त ठरतील अशा प्रकारे तयार करतात.
“हरित आणि हवामान/प्राण्यांसाठी काम करणाऱ्या संघटनांना देखील आम्ही या कार्टमध्ये स्टॉल्स लावण्यासाठी आग्रह केला आहे. जगामध्ये चांगले काम करून जीवनमान सुधारण्यास मदद करण्यास तयार असलेल्या व्यक्ती आणि संस्थांना KGAK  मदत करण्यास सतत सक्षम आहोत.” असेही ब्रिंदा मिलर यांनी यावेळी सांगितले.ENDS

 

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Sachin Murdeshwar
Sachin Murdeshwar is a Sr.Journalist and Columnist in several Mainline Newspapers and Portals.He is an ardent traveller and likes to explore destinations to the core.

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