
Aaditya Thackeray and Hariharan received the bouquets from Namrata Gupta Khan also seen Rabbani Mustafa Khan and Ustad Aftab Ahmed Khan at Ghulam Unveiling
MUMBAI, 20th APRIL 2022 (GPN): हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक बेह्मद अहम हस्ताक्षर पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के निधन के एक साल बाद मुम्बई के कार्टर रोड पर उनके नाम से एक चौक का अनावरण किया गया. इस चौक का उद्घाटन महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन व पर्यावरण मंत्री श्री आदित्य ठाकरे के हाथों हुआ. इस विशेष मौके पर पद्म श्री हरिहरण, पद्म श्री सोनू निगम, गायक शान जैसी संगीत के क्षेत्र से जुड़ी कई विशिष्ट हस्तियां भी मौजूद थीं. बांद्रा के कार्टर इलाके में एडिशनल पुलिस कमिश्नर के ऑफ़िस के बगल में स्थित ‘ पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान चौक’ का उद्घाटन बुधवार की सुबह किया गया. इस मौके पर उस्ताद जी के परिवार से उनकी पत्नी अमीना मुस्तफा खान, भाई उस्ताद आफताब अहमद खान, बेटे मुर्तुजा मुस्तफा खान, कादिर मुस्तफा खान, रब्बानी मुस्तफा खान और हसन मुस्तफा खान, बेटियां नज़मा, शादमा, शाहिना और राबिया, बहू नम्रता गुप्ता खान और परिवार के बाकी सदस्य भी मौजूद थे
उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान अपने परिवार में चार भाइयों और तीन बहनों में सबसे बड़े भाई थे. उन्होंने अपने पिता से शास्त्रीय शिक्षा की बुनियादी तालीम हासिल की थी और बाद में अपने चचेरे भाई उस्ताद निस्सार हुसैन ख़ान से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. रामपुर सहसवान घराना से ताल्लुक रखनेवाले उस्ताद गुलाम मुस्तफ़ा ख़ान को अनगिनत पुरस्कारों से नवाज़ा गया था. उन्हें 1991 में पद्म भूषण, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था. साल 2003 में, संगीत के क्षेत्र में सक्रिय कलाकारों को दिया जानेवाला सर्वोच्च पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
उल्लेखनीय है कि एक उम्दा किस्म के शास्त्रीय गायक और संगीतकार होने के अलावा उन्होंने लता मंगेशकार, आशा भोंसले, ए. आर. रहमान, हरिहरण, सोनू निगम, शान, अपने बेटों – मुर्तज़ा मुस्तफ़ा ख़ान, क़ादिर मुस्तफ़ा ख़ान, हसन मुस्तफ़ा ख़ान और पोते फ़ैज़ मुस्तफ़ा ख़ान जैसी कई नामचीन हस्तियों को भी गायिकी के गुर सिखाए थे.
उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपना एक अलग मकाम बनाने के अलावा हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपना अमूल्य योगदान दिया. इन फ़िल्मों के लिए उन्होंने ना सिर्फ़ गाने संगीतबद्ध किये थे, बल्कि कुछ गाने भी गाए थे. फ़िल्मकार मृणाल सेन की फ़िल्म ‘भुवन शोम’ वह पहली हिंदी फ़िल्म थी जिसके लिए उन्होंने अपनी आवाज़ दी थी. इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए गीत गाए, जिनमें डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी शुमार रहा. यह कहना ग़लत ना होगा कि उस्ताद जी अपने समय के आगे की सोच रखा करते थे. उन्होंने ‘रेनमेकर’ नामक एक जर्मन डॉक्यूमेंट्री में बैजू वावरा का रोल भी निभाया था. ए. आर. रहमान जब अपने गुरू को तीन पीढ़ियों के साथ पेश करना चाहते थे, तो ऐसे में उस्ताद जी ने रहमान के साथ ‘कोक स्टूडियो’ में भी परफॉर्म किया था. इस दौरान ए. आर. रहमान ने उस्ताद ग़ुलाम मुस्ताद ख़ान को उनके बेटों – मुर्तज़ा मुस्तफ़ा ख़ान, क़ादिर मुस्तफ़ा ख़ान, रब्बानी मुस्तफ़ा ख़ान और पोते फ़ैज़ मुस्तफ़ा ख़ान को एक साथ एक ही मंच पर पेश किया था.
दुनियाभर में मशहूर कम्पोज़र गायक और पद्म भूषण से सम्मानित ए. आर. रहमान ने इस ख़ास मौके पर उस्ताद जी को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उस्ताद जी जैसे महान गुरू अकूत ज्ञान और भारत की सांस्कृतिक विरासत के पीछे खड़ीं शाश्वस्त शक्ति की तरह हैं. अपने अनेक शागिर्दों को उन्होंने संगीत की जो तालीम दी, वो अनमोल है. ऐसे में उनके नाम पर ‘ पद्मा विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान चौक’ का नामकरण एक बेहद सराहनीय क़दम है और इसे उन्हें प्रदान की गयी एक सच्ची श्रद्धांजलि के तौर पर देखा जाना चाहिए.”
जाने-माने गायक और उस्ताद जी के शागिर्द रहे हरिहरण कहते हैं, “उस्ताद जी के नाम पर चौक का नामकरण एक बेहद उम्दा पहल है. इसे लेकर मैं बेहद ख़ुश हूं और इस वक्त अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे बड़े उस्ताद थे. जिस बड़े पैमाने पर उन्होंने गायिकी में अपना योगदान दिया और जिस तरह के गानों को उन्होंने ख़ूबसूरती के साथ संगीतबद्ध किया, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए, कम ही होगी. दूसरे घरानों से ताल्लुक रखनेवाले शागिर्द भी उनके संगीतबद्ध किये गये गानों को गाना पसंद करते हैं. वे सच्चे मायने में एक महान शास्त्रीय गायक व संगीतकार थे और उनके नाम पर चौक का नाम रखा जाना हम भारतीयों के लिए किसी कर्तव्य से कम नहीं था. वे हमेशा लोगों की यादों में ज़िंदा रहेंगे. आनेवाली पीढ़ियों को शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में पढ़ना और जानना चाहिए.”
मशहूर कम्पोज़र सलीम मर्चेंट ने इस मौके पर कहा, “उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान हमेशा से ही हमारे ज़हन में बसते हैं और अब उनके नाम पर एक चौक का नामकरण किया जाना उनकी शख़्सियत को और भी ख़ास बना देता है. यह मेरे लिए, उनके परिजनों, उनके तमाम शागिर्दों और सभी संगीत-प्रेमियों के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है. मैं उम्मीद करता हूं कि मरणोपरांत भी उस्ताद जी का नाम यूं ही बुलंदियों पर बना रहे और उनकी याद हमेशा ही हमारे चेहरों पर मुस्कान लाती रहे.”
नामचीन गायक शान ने अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान साहब की जादुई आवाज़ और उनकी उम्दा शख़्सियत से संगीत के प्रति उनके समर्पण और भक्ति को शिद्दत से महसूस किया जा सकता था. उस्ताद जी के नाम पर चौक का नामकरण किये जाने को लेकर मैं बेहद रोमांचित महसूस कर रहा हूं. निश्चित ही इससे आनेवाली कई पीढ़ियां उनके संगीत से प्रेरणा लेती रहेंगी.”
इस विशेष मौके पर पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के परिवार के सदस्यों ने कहा, “हमारे परिवार के लिए यह एक बेहद ख़ास और ख़ुशी का मौका है. आज के दिन हम बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं. उस्ताद जी की हर छोटी-छोटी चीज़ ताउम्र हमारे ज़हन में ज़िंदा रहेंगी. वो ना सिर्फ़ हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत थे, बल्कि उन्होंने लाखों गायकों व संगीताकारों को भी प्रेरित किया. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान ने देश का दुनिया भर में मान बढ़ाया है. विदेशी गायकों व संगीतकारों के लिए ‘उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान फ़ेलोशिप फॉर म्यूज़िक’ की शुरुआत करने के लिए हम भारत सरकार और ICCR का हमेशा शुक्रगुज़ार रहेंगे. हम इस वक्त बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं और उस्ताद जी के नाम पर चौक के नामकरण के लिए हम नगर सेवक श्री आसिफ़ ज़कारिया, महाराष्ट्र सरकार और बृहन मुम्बई पालिका का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करते हैं.”
संगीत के क्षेत्र मे अपनी अमिट छाप छोड़नेवाले पद्म विभूषण उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने साल 2021 में 89 साल की उम्र में मुम्बई में कार्टर रोड स्थित अपने घर में आख़िरी सांसें लीं थीं. ऐसे में उनके निवास स्थान के पास ही उनके नाम पर एक चौक के नामकरण से बड़ी और क्या बात हो सकती है भला! संगीत के क्षेत्र में उनकी विरासत को ना कभी भुलाया जा सकेगा और ना ही कभी उसे मिटाया जा सकेगा.

Aaditya Thackeray, Hariharan, Shaan, Ustad Aftab Ahmed Khan, Rabbani Mustafa Khan, Murtuza Mustafa Khan and Qadir Mustafa Khan at Padma Vibhushan Khan Chowk Unveiling -Photo By GPN

Sonu Nigam with Rabbani Mustafa Khan Hasan Mustafa Khan and Namrata Gupta Khan at Padma Vibhushan Ghulam Mustafa Khan Chowk Unveiling

Hariharan, Amina Mustafa Khan and Shaan at Padma Vibhushan Ghulam Mustafa Khan Chowk Unveiling- Photo By GPN
NEWS IN MARATHI:
कार्टररोड, वांद्रेयेथे ‘पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान चौक’ चे अनावरण श्री आदित्य ठाकरे पर्यटन आणि पर्यावरण मंत्री, महाराष्ट्र सरकार यांच्या हस्ते झाले
हिंदुस्थानी शास्त्रीय संगीताचे महान गायक, पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान यांच्या नावावर असलेल्या चौकाचे अनावरण आदित्य ठाकरे, पर्यटन आणि पर्यावरण मंत्री, महाराष्ट्र सरकार यांच्या हस्ते करण्यात आले. पद्मश्री हरिहरन, पद्मश्री सोनू निगम, शान यांसारख्या दिग्गज आणि प्रख्यात गायक आणि संगीतकारांच्या उपस्थितीत महाराष्ट्रातील. वांद्रे पश्चिम येथील कार्टर रोड येथील अतिरिक्त पोलीस आयुक्त कार्यालयाजवळ असलेल्या ‘पद्मविभूषण गुलाम मुस्तफा खान चौक’चे बुधवारी सकाळी उद्घाटन करण्यात आले. इस मौके पर उस्ताद जी के परिवार से त्यांची पत्नी अमीना मुस्तफा खान, भाई उस्ताद आफताब अहमद खान, बेटे मुर्तुजा खान, कादिर मुस्तफा खान, राणी मुस्तफा खान आणि हसन मुस्तफा खान, बेटियां नज़मा, शादमा, शाहिना आणि राबिया, बहू नम्रता गुप्ता खान आणि कुटुंबाचे सदस्य देखील तेथे आहेत.
उत्तर प्रदेशातील बदाऊन येथे जन्मलेले उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान हे चार भाऊ आणि तीन बहिणींच्या कुटुंबातील सर्वात मोठे पुत्र होते. त्यांनी वडिलांकडून शास्त्रीय संगीताचे मूलभूत प्रशिक्षण घेतले आणि नंतर त्यांचे चुलत भाऊ उस्ताद निसार हुसेन खान यांच्याकडून संगीताचे शिक्षण घेतले.रामपूर सहस्वान घराण्याची प्रकाशमान परंपरा जपणारे , उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान हे विविध पुरस्कार आणि प्रशंसेचे मानकरी ठरले आहेत . त्यांना 1991 मध्ये पद्मश्री, त्यानंतर 2006 मध्ये पद्मभूषण आणि 2018 मध्ये पद्मविभूषणने सन्मानित करण्यात आले. 2003 या वर्षी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, या अतिशय प्रतिष्ठित पुरस्कारांनी त्यांना सन्मानित करण्यात आले .
विशेष म्हणजे, सर्वोत्कृष्ट असण्याबरोबरच, उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान यांनी लता मंगेशकर, आशा भोसले, ए.आर. यांसारख्या अनेक दिग्गज बॉलीवूड गायकांनाही मार्गदर्शन केले आहे. रहमान, हरिहरन, सोनू निगम, शान, त्यांची मुले मुर्तुजा मुस्तफा खान, कादिर मुस्तफा खान, रब्बानी मुस्तफा खान, हसन मुस्तफा खान आणि नातू फैज मुस्तफा खान या सर्वांना त्यांचे मार्गदर्शन लाभले आहे.
उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान यांचे हिंदी आणि इतर प्रादेशिक चित्रपटात फार मोठे योगदान आहे . त्यांनी हिंदी आणि इतर प्रादेशिक चित्रपटांसाठी गायक आणि संगीतकार म्हणून मोठी कामगिरी केली आहे . मृणाल सेनच्या भुवन शोम या हिंदी चित्रपटांतुन त्यांनी पार्श्वगायनाच्या क्षेत्रात प्रवेश केला आणि त्यानंतर त्यांनी अनेक हिंदी चित्रपट आणि विविध लघुपटांसाठी देखील गाणी ध्वनिमुद्रित केली . ते कायम काळाच्या पुढे असायचे ,असे लोक त्यांच्याबद्दल म्हणू शकतील. .त्याने रेनमेकर या जर्मन माहितीपटात बैजू बावराची भूमिका साकारली आणि जेव्हा ए आर रहमान यांना आपल्या गुरूंसमोर तीन पिढयांना सादर करायचे होते ,तेव्हा देखील कोक स्टुडिओ येथे त्यांनी आपली कला सादर केली. त्या तीन पिढ्यांमध्ये त्यांची मुले मुर्तुझा मुस्तफा खान, कादिर मुस्तफा खान, रब्बानी मुस्तफा खान, हसन मुस्तफा खान आणि नातू फैज मुस्तफा खान यांचा समावेश होता.
प्रसिद्ध संगीतकार-गायक, उस्ताद, पद्मभूषण ए.आर. रहमान म्हणाले, “महान गुरू हे ज्ञानाचे शाश्वत सामर्थ्य आणि भारताकडे असलेल्या समृद्ध परंपरेचे स्रोत आहेत गुलाम मुस्तफा खान साहेबांनी आपल्या अनेक विद्यार्थ्यांना दिलेले संगीताचे ज्ञान अमूल्य आहे. ‘पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान चौक’ हा त्यांच्या भारतीय शास्त्रीय संगीताच्या सेवेचा योग्य सन्मान असेल.”
“माझ्या उस्ताद जी (उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान) साठी एक चौक घडणे ही सर्वात चांगली गोष्ट आहे. मी खूप आनंदी आहे; या भावनेचे वर्णन करण्यासाठी माझ्याकडे शब्द नाहीत! उस्ताद जी हे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, ख्याल गायकी/घराण्याचे सर्वात मोठे गुरु होते.त्यांनी केलेले काम आणि त्यांनी सादर केलेल्या चमकदार रचना केवळ अप्रतिम आहेत. इतर घराण्यातील विद्यार्थीही त्यांच्या रचना गातात! ते एक प्रतिष्ठित व्यक्तिमत्व आहे, एक खरा महापुरुष आहे आणि त्यांच्या नावाने चौक असणे हे आम्हा भारतीयांचे कर्तव्य आहे. ही स्मृती कायम राहिली पाहिजे आणि येणाऱ्या पिढ्यांनी त्यांचे योगदान लक्षात घ्यायला पाहिजे आणि जाणून घेतले पाहिजे,” असे उत्साही ज्येष्ठ गायक पद्मश्री हरिहरन यांनी सांगितले.
मास्टर संगीतकार सलीम मर्चंट म्हणतात ,” “उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साब नेहमी आपल्या हृदयात आणि विचारांमध्ये असतात, आणि आता त्यांच्या नावाचा चौक त्यांचा गौरव करतो आणि आपल्याला खूप आनंद देतो. त्यांच्या कुटुंबासाठी, त्यांच्या विद्यार्थ्यांसाठी आणि आपल्या सर्व संगीतप्रेमींसाठी हा अभिमानाचा आणि सन्मानाचा क्षण आहे. मला आशा आहे की उस्तादजींचे नाव सदैव शीर्षस्थानी राहील आणि त्यांचे स्मरण आपल्याला सदैव होत राहील. “
अष्टपैलू गायक शान यांनीही आपला आनंद व्यक्त केला, “पद्मविभूषण श्री गुलाम मुस्तफा खान साब त्यांच्या स्वरातून आणि व्यक्तिमत्त्वातून संगीत, समर्पण आणि भक्ती यांचे अस्तित्व कायम जाणवत राहील . . त्यांच्या नावाच्या चौकामुळे मी खूप रोमांचित आहे. येणाऱ्या अनेक पिढ्यांसाठी त्यांचे संगीत प्रेरणा देत राहील .. आम्हा सर्वांना याचा खूप अभिमान आहे.”
“ही खूप छान भावना आहे आणि निश्चितच अभिमानाचा क्षण आहे आणि आमच्या संपूर्ण कुटुंबासाठी नेहमीच खास राहील. उस्तादजींनी आपल्या सर्वांसाठी केलेल्या प्रत्येक छोट्या-छोट्या गोष्टीचे आपण नेहमीच कौतुक करतो आणि करू. ते केवळ आमच्यासाठीच नव्हे तर अनेक इच्छुक गायक आणि संगीतकारांसाठी प्रेरणास्थान होते. हिंदुस्थानी शास्त्रीय संगीताच्या क्षेत्रात त्यांनी आपल्या योगदानाने देशाचा गौरव केला आहे. आम्ही भारत सरकार आणि ICCR चे ऋणी आहोत ज्याने अलीकडेच परदेशी संगीतकार आणि कलाकारांसाठी ‘उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान फेलोशिप फॉर म्युझिक’ सुरू केली. आणि आता उस्तादजींच्या नावाने चौक दिल्याबद्दल आमचे नगरसेवक श्री आसिफ झकेरिया, महाराष्ट्र सरकार आणि बृहन्मुंबई महानगर पालिका यांचे आम्ही सदैव आभारी राहू,” असे मत उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान परिवारातील सदस्यांनी व्यक्त केले.
संगीत क्षेत्रात आपला अमिट ठसा उमटवणारे पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान यांनी 2021 मध्ये वयाच्या 89 व्या वर्षी मुंबईतील कार्टर रोडच्या घरी अखेरचा श्वास घेतला. आणि त्यांच्या स्मृतिदिनाच्या निमित्ताने त्याच्या घराजवळ, त्याच्या नावाने चौक यापेक्षा चांगले कायअसणार ! त्यांचा वारसा असाच पुढे चालत राहील . …यापेक्षा वेगळे काय सांगावे?”Ends
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